Ram Mandir in ayodhya Ram Mandir ka design kaun taiyar kiya Cost of Ram Mandir

राम मंदिर का डिजाइन तैयार किसने किया

अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर: चंद्रकांत सोमपुरा का नक्शा डिज़ाइन

विरासत में मिला मंदिरों के नक्शे बनाने का हुनर

भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत में स्थापित हुआ मंदिर निर्माण एक कला का काम है, और इसमें वास्तुकला की महत्वपूर्ण भूमिका है। गुजरात से ताल्लुक रखने वाले चंद्रकांत सोमपुरा और उनका परिवार नागर शैली के मंदिरों के नक्शे बनाने में अपने कुशल हुनर के लिए जाने जाते हैं। प्रमुखतः, उनके पिता प्रभाकर सोमपुरा ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर का डिज़ाइन तैयार किया था, जिसने उन्हें एक प्रमुख विरासतदाता बना दिया। चंद्रकांत सोमपुरा और उनका परिवार ने विभिन्न देशों में हिंदू मंदिरों के नक्शे बनाए हैं, जिससे उन्होंने अपने परिवार की शैली को विश्व में पहचान दिलाई है। चंद्रकांत सोमपुरा का योगदान अयोध्या में श्री राम मंदिर का डिजाइन के नक्शे का डिज़ाइन में होने वाले बदलाव के साथ है, और उन्हें इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए चुना गया है।

कौन हैं चंद्रकांत

चंद्रकांत सोमपुरा को नागर शैली के मंदिरों के नक्शे बनाने के लिए विशेषज्ञ माना जाता है। उन्होंने लंदन के प्रसिद्ध अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण मंदिर का डिज़ाइन तैयार किया है, जिसे उनकी विरासत का एक बड़ा हिस्सा माना जाता है। इसके साथ ही, सोमपुरा ने भारत और विदेश में और भी कई मंदिरों के नक्शे तैयार किए हैं, जिससे उन्होंने अपनी विशेषज्ञता की पहचान बनाई है।

मंदिर पर चल रहा काम

राम मंदिर के डिजाइन के कार्य में चंद्रकांत सोमपुरा और उनके सहायक वास्तुविद अब अयोध्या में हैं और वहां मंदिर के निर्माण के लिए कार्य में जुटे हैं। डिज़ाइन के आधार पर, पत्थरों पर नक्काशी का 40 प्रतिशत से ज्यादा काम पूरा हो चुका है, और अनुमान है कि मंदिर निर्माण लगभग 2 से 2.5 साल में पूरा हो जाएगा। मंदिर का नक्शा बनाने की उनकी विशेषज्ञता और कुशलता के कारण, उन्होंने अपनी विरासत को और भी मजबूत किया है।

फॉर्मल डिग्री नहीं है इनके पास

चंद्रकांत सोमपुरा की एक अनोखी बात यह है कि उनके पास वास्तुकला की कोई औपचारिक डिग्री नहीं है, लेकिन उन्होंने अपने पिता से विरासत में मिली शैलियों का सीधे संबंध के माध्यम से सीखा है। इसके परे, उन्हें विश्वभर में बड़े-बड़े मंदिरों के नक्शे बनाने के लिए बुलाया जाता है, और वह खुद को एक सशक्त वास्तुविद के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

क्या है नागर शैली की खासियत

राम मंदिर का नक्शा नागर शैली में तैयार किया जा रहा है, जो उत्तर भारतीय मंदिरों की एक विशेषता है। इसमें चतुष्कोण का सजीवन रूप, आधार से ऊपर तक का सीधा संबंध, और कुशलता से भरा होता है। यह शैली आधुनिक भारतीय स्थापत्य कला का एक अमूर्त अंग है और उसमें धार्मिक भावनाओं का प्रतिष्ठान होता है। चंद्रकांत सोमपुरा की दक्षता से सिद्ध हो रहा है कि राम मंदिर नागर शैली के सर्वोत्तम नक्शे में बनेगा और सारे देश को गर्वित करेगा।

मिली-जुली शैली भी है चलन में

भारतीय मंदिरों में देखने को मिलने वाली और एक और शैली है, जिसे वेसर शैली कहा जाता है। यह शैली नागर और द्रविड़ शैलियों का मिलाजुला रूप है और इसमें वृंदावन का वैष्णव मंदिर एक उदाहरण है। इस शैली में मंदिर का शिखर गोलाकार या चपटा हो सकता है, जो इसे आकर्षक बनाता है। इस शैली का विकास मध्य भारत में हुआ है, और यह कर्नाटक और मालवा के क्षेत्रों के मंदिरों में आम है।

Avatar
Pioneer Architects

Leave a Comment

Your email address will not be published.